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ज्योतिषीय समाधान

ज्योतिष में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से तुरंत ही लाभ मिलता है फिर चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो....

क्या आप समस्याओं से परेशान हैं ?

क्या बनते काम बिगड़ रहे हैं ?

क्या आपको कैरियर कि चिंता सता रही है ?

क्या विवाह में बाधा उत्त्पन हो रही है ?

अनेकों ऐसे सवाल जिनका कुंडली, हस्तरेखा, अंक ज्योतिष, रत्न ज्योतिष, वास्तुविज्ञान, यंत्र व मंत्रों द्वारा समाधान


ज्योतिष विज्ञान में जगमगाता सितारा

मैंने भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद्, चेन्नई से ज्योतिष विज्ञान में विशारद और वास्तु  विज्ञान में आचार्यत्व प्राप्त किया है. अल्पायु में ही दैवीय प्रेरणा स्वरूप ज्योतिष विज्ञान में अभिरुचि जगी, जिसके कारण अपने उतरोत्तर अध्ययन एवं शोध से अनुभव प्राप्त कर 1992 से ही लोगों को अनेक प्रकार की चिंताओ, भाग्यदोषों का निराकरण कराते हुए नक्षत्र गति की दशा एवं दिशाओं का परिमार्जन उपाय तथा उचित एवं सटीक निर्देशन, परामर्श देने का गुरुत्तर कार्य करता रहा हूँ. मैं 5 तत्वों, 16 दिशाओं, 32 प्रवेश द्वार और 45 दिव्य शक्तियों का उपयोग कर पारंपरिक और उन्नत वास्तु सिद्धांतों के अनुसार आवासीय, कॉर्पोरेट, वाणिज्यिक और उद्योग के लिए नए भवनों की योजना बनाते हैं और एलिमेंटल बैलेंस थ्योरी का द्वारा "सही जगह पर सही गतिविधियां" का उपयोग करके बिना किसी तोड़-फोड़ के मौजूदा भवनों में वास्तु दोषों को ठीक कर स्वास्थ्य, धन, रिश्ते और व्यावसायिक समस्याओं के लिए सर्वोत्तम समाधान बताते हैं. एक ज्योतिषी होते हुए ग्रहों और तारों के गतिविधियों और उनके मानव जीवन पर प्रभाव को गहन रूप से समझते हैं. आप इस ज्ञान का उपयोग लोगों को बेहतर फैसले लेने में मदद करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों और अवसरों को संचालित करने में करते हैं. आपकी वेबसाइट उन लोगों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है जो ज्योतिषीय मार्गदर्शन की तलाश में हैं, और आपकी विशेषज्ञता और अंदरूनी दृष्टि ने बहुत से लोगों को उनके जीवन में अधिक स्पष्टता और दिशा प्रदान करने में मदद की है.


ज्योतिष विज्ञान क्या है ? 

भारतीय ज्योतिष का प्राचीनतम इतिहास (खगोलीय विद्या) के रूप सुदूर भूतकाल के गर्भ मे छिपा है, केवल ऋग्वेद आदि प्राचीन ग्रन्थों में स्फ़ुट वाक्याशों से ही आभास मिलता है, कि उसमे ज्योतिष का ज्ञान कितना रहा होगा। निश्चित रूप से ऋग्वेद ही हमारा प्राचीन ग्रन्थ है, बेवर मेक्समूलर जैकीबो लुडविंग ह्विटनी विंटर निट्ज थी वो एवं तिलक ने रचना एवं खगोलीय वर्णनो के आधार पर ऋग्वेद के रचना का काल 4000 ई. पूर्व स्वीकार किया है। चूंकि ऋग्वेद या उससे सम्बन्धित ग्रन्थ ज्योतिष ग्रन्थ नही है, इसलिये उस आने वाले ज्योतिष सम्बन्धित लेख बहुधा अनिश्चित से है, परन्तु मनु ने जैसा कहा है कि "भूतं भव्यं भविष्यं च सर्वं वेदात्प्रसिद्धयति"। इससे स्पष्ट है कि वेद त्रिकाल सूत्रधर है और इसके मंत्र द्रष्टा ऋषि भी त्रिकालदर्शी थे ।

ज्योतिष शास्त्र एक बहुत ही वृहद ज्ञान है। ज्योतिष माने वह विद्या या शास्त्र जिसके द्वारा आकाश स्थित ग्रहों, नक्षत्रों आदि की गति, परिमाप, दूरी इत्या‍दि का निश्चय किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की व्युत्पत्ति 'ज्योतिषां सूर्यादि ग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्‌' की गई है। हमें यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि ज्योतिष भाग्य या किस्मत बताने का कोई खेल-तमाशा नहीं है। यह विशुद्ध रूप से एक विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र वेद का अंग है। ज्योतिष शब्द की उत्पत्ति 'द्युत दीप्तों' धातु से हुई है। इसका अर्थ, अग्नि, प्रकाश व नक्षत्र होता है। शब्द कल्पद्रुम के अनुसार ज्योतिर्मय सूर्यादि ग्रहों की गति, ग्रहण इत्यादि को लेकर लिखे गए वेदांग शास्त्र का नाम ही ज्योतिष है। छः प्रकार के वेदांगों में ज्योतिष मयूर की शिखा व नाग की मणि के समान सर्वोपरी महत्व को धारण करते हुए मूर्धन्य स्थान को प्राप्त होता है। सायणाचार्य ने ऋग्वेद भाष्य भूमिका में लिखा है कि ज्योतिष का मुख्य प्रयोजन अनुष्ठेय यज्ञ के उचित काल का संशोधन करना है। यदि ज्योतिष न हो तो मुहूर्त, तिथि, नक्षत्र, ऋतु, अयन आदि सब विषय उलट-पुलट हो जाएँ।

ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मनुष्य आकाशीय-चमत्कारों से परिचित होता है। फलतः वह जनसाधारण को सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, ग्रहों की स्थिति, ग्रहों की युति, ग्रह युद्ध, चन्द्र श्रृगान्नति, ऋतु परिवर्तन, अयन एवं मौसम के बारे में सही-सही व महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है। इसलिए ज्योतिष विद्या का बड़ा महत्व है।


ग्रह नक्षत्रों के परिज्ञान से काल का उद्बोधन करने वाला शास्त्र ज्योतिष शास्त्र ही है। 

हमारी सेवाएँ

संसार मे सभी बालक से लेकर वृद्ध तक, अशिक्षित से शिक्षित तक, स्त्री-पुरुष, अमीर-गरीब, व्यापारी-कर्मचारी, मजदूर-किसान, शासक-प्रशासक सभी वर्ग के लोग अपना भविष्य जानने की तीव्र उत्कंठा रखते है। यहाँ तक कि सभी का त्याग किये हुए अरण्य में रहने वाले मुनिजन भी अपना भविष्य जानने के लिए उत्सुक रहते हैं, तो फिर साधारण मनुष्य की क्या बात है? और उनकी यह जिज्ञासा शान्त करता है, ज्योतिषशास्त्र …. केवल ज्योतिषशास्त्र ! 

कुंडली ज्योतिष

ज्योतिष एक छद्म विज्ञान है जो राशि चक्र और नक्षत्र की स्थितियों का अध्ययन करके मानव और स्थलीय घटनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। आप अपना पूरा दैनिक, मासिक और वार्षिक राशिफल भविष्यवाणियां प्राप्त कर सकते हैं। 

हस्तरेखा ज्योतिष 

हस्तरेखा विज्ञान में किसी व्यक्ति के चरित्र या भविष्य की व्याख्या के लिए उसके हथेली की रंग, हथेली के आकार और हाथ के लचीलेपन, उंगलियों, नाखूनों, अंगुलियों के निशान, लाइनें और माउंट द्वारा मूल्यांकन किया जाता है।

अंक ज्योतिष 

अंक विज्ञान किसी भी संख्या और संयोग की घटनाओं के बीच दिव्य या रहस्यमय संबंध है। यह शब्दों, नामों और विचारों में अक्षरों के संख्यात्मक मूल्य का अध्ययन है। यह अक्सर ज्योतिष और समान दिव्य कलाओं से जुड़ा होता है। 

वास्तु ज्योतिष

भारतीय उपमहाद्वीप पर पाए जाने वाले ग्रंथ वास्तुकला का विज्ञान हैं डिजाइन, लेआउट, माप, जमीन की तैयारी के सिद्धांतों का वर्णन हैं। इसका उद्देश्य प्रकृति के साथ संरचना के विभिन्न भागों के सापेक्ष कार्य और ज्यामितीय पैटर्न को एकीकृत करना है। 

समाधान

ज्योतिष शास्त्र में जातक की समस्याओं का कारण और उनका निवारण मिलता है | किन्तु यह तभी संभव हो पाता है जब जातक को अपने जन्म के विषय में ठीक-ठीक जानकारी पता हो जैसे जन्म की तारीख , सही समय और जन्म का स्थान आदि | इन सब के आधार पर भी जातक की लग्न कुंडली बनती है जिससे ग्रहों की शुभता और अशुभता का पता लगता है |

ज्योतिष में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से तुरंत ही लाभ मिलता है फिर चाहे समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो |

रत्न विज्ञान 

रत्न ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए पहने जाते हैं क्योंकि उनका कंपन अद्वितीय ग्रहों से मेल खाता है। ज्योतिषीय गणनाओं के माध्यम से किसी व्यक्ति के लिए उपयुक्त रत्न का पता लगता है जो समग्र विकास और कल्याण सुनिश्चित करता है।

पूजन 

सुखी और समृद्धिशाली जीवन के लिए देवी-देवताओं के पूजन की परंपरा काफी पुरानी है। पूजन से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, लेकिन पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन भी किया जाना चाहिए अन्यथा पूजन का शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता है।

दोष निवारण 

किसी व्यक्ति की कुंडली उसके जीवन का आईना होता है। अंगारक योग, चांडाल योग, विष योग, ग्रहण योग आदि कुछ ऐसे योग हैं जो जीवन में दुख के कारण बनते हैं। यथा शीघ्र उनका निवारण कर लेना चाहिए, ताकि अनिष्ट को टाला जा सके। 

यंत्र-मंत्र 

जीवन की किसी भी समस्या का निदान कुंडली के चक्र की गणना से ही की जा सकती है; समस्त बाधाओं एवं समस्याओं को दूर करने के लिए 100 % चमत्कारिक प्रभाव देने वाले; विशेष प्रकार के मन्त्रों से सिद्ध यंत्रों, ताबीजों, कमरबंद, आदि है। 

रुद्राक्ष 

शिवमहापुराण ग्रंथ में कुल सोलह प्रकार के रूद्राक्ष बताएं गए है औऱ सभी के देवता, ग्रह, राशि एवं कार्य भी अलग-अलग बताएं है।  रुद्राक्ष का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। रूद्राक्ष को धारने करने वाले के जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।  

From Patna, Bihar

From Ranchi, Jharkhand

From Patna, Bihar

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